मुंशी प्रेमचंद ः गबन

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(8) सवेरा होते ही दयानाथ गहने लेकर सर्राफ के पास पहुंचे और हिसाब होने लगा। सर्राफ के पंद्रह सौ रू. आते थे, मगर वह केवल पंद्रह सौ रू. के गहने लेकरसंतुष्ट ...

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